!!आओ जाने हनुमान जी ने पूर्ण ब्रह्म कबीर साहेब जब त्रेता युग में मुनीन्द्र रूप में आये थे तो कब उनसे नाम दीक्षा ली और राम की भक्क्ति छोड़ कर कबीर भक्क्ति की •••••••••••••••••••मेरे गुरु जी ने सत्संग में बताया है कि हनुमान को प्रथम बार मुनींद्र जी जब मिले जब हनुमान माता सीता जी से लंका में मिल कर आ रहे थे तो रास्ते में सीता माता का दिया हुआ कंगन किनारे पर रखकर हनुमान जी एक नदी में नहाने लगे तो एक बंदर कंगन उठा कर भाग लेता है और हनुमान उसे पकड़ने लगता है तो बंदर उस कंगन को एक मटके में डाल देता है अब हनुमान देखते है कि उस मटके में तो सेम वैसे ही बहुत सारे कंगन पड़े हैअब हनुमान जी देखता हे की वही पास में एक झोपडी में मुनीन्द्र ऋषि बैठा है हनुमान जी मुनीन्द्र ऋषि से पूछता है महाराज में सीता माता का कंगन लेकर राम जी के पास जा रहा था लेकिन एक बंदर ने वो कंगन इस मटके में डाल दिया और इस मटके में ऐसे ही बहुत सारे कंगन है में सीता जी वाले कंगन को पहचान नही पा रहा हु मुनीन्द्र जी बोले हे हनुमान ये सारे कंगन सीता के ही है आप इनमे से कोई भी कंगन उठा लो हर त्रेता युग में ऐसे ही तुम सीता का कंगन लाते हो और वो बंदर उसे इस मटके में डाल देता है और इस मटके में जो वस्तु पड़ती है ये वैसी ही एक और बना देता है हे हनुमानजी ऐसे ऐसे पता नही कितने राम और कितने हनुमान हो लिए कब तक ऐसे ही जन्म मरण के चक्र में दुखी होते रहोगे हम से दीक्षा लेकर सत भक्क्ति क्यों नही करते अब हनुमान जी बोले ऋषि जी अभी टाइम नही है आपसे फिर कभी फुर्सत में ज्ञान चर्चा करूँगा फिर हनुमान जी मुनीन्द्र जी से तब मिले जब मुनीन्द्र जीके आशिर्वाद से समुन्दर में पत्थर नही डूबे और राम चंद्र जी रामसेतु पुल बना सके इसके बाद जब राम जी रावण को मारकर जब अयोध्या चले जाते हे तो हनुमान सीता माता की दी हुयी माला के सारे मोतियों को एक एक करके ये देखने के लिए तोड़ देते है कि इनमें राम तो किसी मोती में नही फिर ये मेरे किस काम की अब सीता माता जब देखती हे की इसने इतनी अच्छी माला तोड़ दी तो वो कहती है हनुमान तू रहा बंदर का बंदर ही तुमने इतनी अच्छी माला तोड़ दी तुम तो जंगल में ही रहने लायक हो हनुमान सीता माता की इस बात से दुखी होकर अयोध्या छोड़कर वन में चले जाते है और उन्हें वहाँ मुनीन्द्र जी फिर मिलते है और हनुमान और मुनीन्द्र जी के बहुत सवाल जबाब होते है और मुनीन्द्र जी हनुमान को काफी ज्ञान समझाते है आखिर में हनुमान कहता है है मुनीन्द्र जी आप मुझे सतलोक दिखा कर लाओ तो मुझे तुम्हारे इस ज्ञान पर यकीन हो तब मुनीन्द्र रूप में परमात्मा हनुमान जी को सतलोक दिखाते है और हनुमान परमात्मा मुनिन्द्र के पैर पकड़ लेता है और दीक्षा लेकर तीन लोक के विष्णु अवतार राम की भक्क्ति छोड़करअसंख्यो ब्रह्माण्ड के मालिक पूर्ण ब्रह्म की भक्क्ति करता है हनुमान और मुनींद्र जी में क्या ज्ञान चर्चा हुयी और कैसे हनुमान राम की भक्क्ति छोड़कर मुनीन्द्र द्वारा दी सत भक्क्ति करने को राजी होता है आप कबीर सागर में पढ़ सकते हो सत साहेब दोस्तों हनुमान एक भक्त था और भक्क्ति भगवन की होती है भक्त की नही इसलिये संत रामपाल जी महाराज से नाम लेकर पूर्ण ब्रह्म कबीर भगवान की भक्क्ति करो जय हो बंदी छोड़ की #satlokhans
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जब हनुमान जी लंका में सीता जी से मिलकर वापस आ रहे थे तो बीच में नदी कहा से आ गई
ReplyDeleteसमुंदर की बीच नदी और संत मुनींद्र जी का आश्रम केसे संभव है ।।
ये सत्य ज्ञान है। इस घटना का जिक्र आनंद रामायण में भी है।
Deleteबिल्कुल सत्य।
Deleteइस घटना का जिक्र आनंद रामायण में भी मिला है।
कबीर सागर में भी यह वर्णन है।